नींद - ZorbaBooks

नींद

नींदों से भी 

लड़ने लगी हूं

आजकल

वो सुलाने आती हूं

और मैं चाहती हूं

उससे जी भर बात करुं

सुना दूं उसे

मन में उठने वाली

लहरों की आवाज

दुनियाभर के शिकवे-शिकायतो

की लगा दूं  झडी उसके सामने

बहा दूं आंखों में उठने वाले

तुफान को उसके आगे

ले चले वो मुझे

एक ऐसी दुनिया में

अपने साथ

जहां भूला दूं

खुद को

दूर कर लूं

सब परेशानियों से खुद को

वो सुला ले मुझे

अपनी गोद में

और सुनाये मुझे

नींद में चलने वाले 

सुंदर सपनों की अनोखी

अनजानी कहानियां

सुनहरे सपनों की आवाजाही की आहटे 

 

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हेमंत यादव