देर से सही
देर से सही पर मिलता जरूर है,
नदियों से समुद्र, को विदेशों से देश को,
शहरों से कस्बे को और कस्बों से गांव को,
देर से सही पर मिलता जरूर है।
भाग रही है दुनिया बड़े शहरों की ओर, सुविधा है जहां गैरों की ओर।
अनाज तो आज भी गांव में किसान ही उगाता है, और बीमार हो जाने पर जिले के अस्पताल जाता है।
जिला भी गांव से वह मिलो दूर पाता है, न जाने क्यों फिर भी पैसे वाला गरीब का मजाक बनाता है।