Description
New Poems in Hindi
इस पुस्तक की हर एक पंक्ति, कवि ह्रदय का उद्गार है जो बहुत समय से बस पन्नों में सिमट कर रह गयी थी, और जो आज आप के सम्मुख मूर्त रूप में आई है । वेदना अनुभूति की हर कविता इतनी मार्मिक है कि वे पाठकों को रुला देती है। संदेश अनुभूति कवि के उद्घोष को दर्शाती है। भक्ति की कविताएँ रामायण की प्रस्तावना, नारद मोह और धोपाप, केवल कवितायें ही नहीं, बल्कि अपने आप में कहानियाँ भी है, जो आपको भगवान के प्रति समर्पण को प्रेरित करती है। प्रेम खंड कि कविताएँ माता-पिता, समाज, प्रकृति और भगवान के प्रति प्रेम को विभिन्न रूप दर्शाती है । ये पाँच खंड (वेदना, संदेश, भक्ति, सहज और प्रेम) की कविताओं का सार मैं एक कविता से ही देना चाहता हूँ !
यह किसी के अश्रु की है वेदना,
यह किसी के ह्रदय का संदेश है।
यह किसी में भक्ति के प्रति आस्था,
यह सहज प्रार्थना की डोर है।
प्रेम हर कविता में मिलेगा आप को,
यह पिता पुत्र के कवि ह्रदय का मेल है।
About the Authors
जन्म 12 अक्तूबर 1976, सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश, भारत) और वर्तमान निवास सिंगापुर
आपके पिता का नाम श्री काशी राम उपाध्याय और माता का नाम दुर्गावती देवी है। स्कूली शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय गौरीगंज से पूरी करने के बाद आप ने स्नातक की परीक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण किया । तदुपरांत आप ने आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर श्री ए. के. मित्तल के सुझाव पर मास्टर इन कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई की । सन 2002 में आपकी नियुक्ति सिंगापुर में सॉफ्टवेर कंपनी में हुई। सन 2008 में आपने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एन. यू. यस.) से एम॰ टेक॰ की शिक्षा पूरी की और सॉफ्टवेर में कार्यरत रहे ।
बचपन से ही खेल में रुचि होने के कारण और सिंगापुर में बहुत अच्छी खेल सुविधाओं को देख कर आपने फ्रांसीसी खेल पेतांक (Pétanque) खेलना शुरू किया। 2015 में आपका चयन सिंगापुर नेशनल टीम में हुआ और आपने साउथईस्ट ऐसियन गेम्स (SEA Games 2015) में सिंगापुर का प्रतिनिधित्व किया। आपने इस खेल में नेशनल गेम्स, पोर्ट डिक्सन इंटरनेशनल और रीजनल टूर्नामेंटों में कई पदक हासिल किये।
2014 से आप सिंगापुर के गवर्नमेंट टेक्नोलॉजी एजन्सी, पब्लिक सर्विस में सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत है। बचपन से ही आपने समय-समय पर विभिन्न प्रकार की कविताओं की रचना भी किया, जो आपको शायद अपने पिता से विरासत में मिली। आपकी यह लाइन “बुझ गये वे दिये जो जले थे कभी, सोचो तुम भी जिये उनके जलने पे ही”, अपने माता और पिता के प्रति अदम्य प्यार को दर्शाती है, जो आपने अपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की शिक्षा के समय में लिखी थी । आपने कोविड19 के समय “हीरो” और “प्रकृति में परिवर्तन” जैसी कविताओं को लिखकर, पाठकों को अपनी तरफ आकर्षित किया।
काशी राम उपाध्याय के पिता का नाम श्री भगवान दत उपाध्याय था। शुरू से आप की रुचि काव्य साहित्य में रही। कॉलेज में अध्यापन कार्य करने लगे। इसके बाद स्नातक की परीक्षा बनारस हिन्दू विश्वविध्यालय से उत्तीर्ण हुये। तदुपरांत लोक सेवा आयोग उ. प्र. से ऑडीटर की परीक्षा पास करने के बाद ऑडीटर पद पर कार्यरत हुये। एक वर्ष के बाद नॉर्मल स्कूल लखीमपुर खीरी में अध्यापक पद पर नियुक्ति हो गयी। चूंकि आप एक मेधावी किस्म के व्यक्ति थे, सरकारी नौकरी में मन नहीं लगा अतएव आप ने अध्यापन कार्य से इस्तीफा देकर एल. एल. बी. की पढ़ाई, टी. डी. कॉलेज जौनपुर से करके आपने गृह जनपद सुल्तानपुर में वकालत शुरू किया । इसी अंतराल में समय-समय पर आप ने विभिन्न प्रकार की कविताओं की रचना भी किया।
आपकी ज्यादातर रचनाएँ धार्मिक साहित्य पर आधारित हैं जिसमें हनुमत वंदना, कृष्ण चरित, अँग्रेजी में सुंदरकाण्ड, नारद मोह प्रमुख हैं।
Charu –
Great work by author !