बटवारा
एक गांव में एक सेठ रहता था, उसका नाम मनोहर लाल था । उसके चार बेटे थे। एक दिन चारों आपस में जायदाद का बंटवारा करना चाहते थे, तो उन्होंने सेठ से कहा कि हमें हमारा हिस्सा दे दिया जाए। सेठ बीमार रहता था। उसके दिमाग में एक बात आई उसने अपने एक बेटे को लकड़ियां लाने बोला तो वह 4 लकड़ियां लेकर आया। सेठ ने लकड़ियों का एक गटर बना दिया। और अपने हर एक बेटे को लकड़ी का एक गट्ठर बनाकर दे दिया और उसे तोड़ने को कहा । वह कोई ना तोड़ सका पर जब उन्होंने अलग-अलग लकड़ी सबको दी तो वह लकड़ियां टूट गई। तो सेठ ने कहा कि एक साथ रहने में ही भलाई है और एक साथ रहने में ही ताकत है।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम साथ रहे तो हमें कोई नहीं तोड़ सकता।