मिली जो जिंदगी तो जीना आ गया
लड़खड़ाए कदम तो संभलना आ गया,
गिरे जो कभी तो उठना भी आ गया।
रोए कभी तो हंसना भी आ गया,
टकराए जब पटाव से तो झुकना भी आ गया।
याद आया कोई बिछड़ा तो भुलाना भी आ गया।।
लड़खड़ाए कदम तो संभलना आ गया,
गिरे जो कभी तो उठना भी आ गया।
रोए कभी तो हंसना भी आ गया,
टकराए जब पटाव से तो झुकना भी आ गया।
याद आया कोई बिछड़ा तो भुलाना भी आ गया।।