बड़े-बड़े हादसे भी हमने हँस कर सहे !
बड़े – बड़े हादसे भी हंस कर सहे ।
जब खुद़ा की मर्जी यही है तो कोई क्या कहे ।।
तमाम उम्र लोग दीवाना कह कर हंसे ।
मैं हूँ ही लाजवाब तो कोई फिर कोई क्या कहे ।।
मुबारक हो तुम्हें जिंदगी के फ़लसफ़े ।
हौसला है हमें लड़ने का कोई मौत से कहें ।।
मुहब्बत कर के भी बेदाग हम रहे ।
यूं कहों मरते – मरते सौ बार हम मरे ।।
खुशियाँ भी सारी उम्र हम से छिपते रहे ।
जब वो मांगने आये तो थे सामने खड़े ।।