चल आज फिर से कोशिश करते हैं,
चल आज फिर से कोशिश करते हैं,
खुद से जो भागता फिरता है , थोड़ा सा मिल ले ,
चल आज फिर से कोशिश करते हैं।
आंखों को मूंदकर ही सही ,इस दरिया को पार कर,
अपने अंदर के रावण,के सीने पे तू वार कर ।
संघार कर संघार कर,अपने अंतर मन से विचार कर ।
ये जो खुशी पे तेरी बद्दुआएं करते हैं, परमात्मा से भी ये ना डरते है , चल आज फिर कोशिश करते हैं।
सत्य का तू आचार कर, ज्ञान का तू प्रचार कर,
ऊंच- नीच के झमेले से , देश को तू पार कर,
संघार कर संघार कर,अपने अंतर मन से विचार कर ।
तेरे निष्पक्ष कदम से जो डरते है, तेरे प्रताप को नमन वो करते है , चल आज फिर से कोशिश करते है।।
Written by – Narotam singh