राख - ZorbaBooks

राख

खामोशी में ख्वाब सा बनजाऊं,खुद के ख्याल में बेहिसाब सा बनजाऊं,

तमना तो है दीदार की, दिल करता है कि मैं राख हो जाऊं

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Narotam singh