जिंदगी तो ,एक सफर हैं सुहाना.... - ZorbaBooks

जिंदगी तो ,एक सफर हैं सुहाना….

जिंदगी तो ,एक सफर हैं सुहाना ,

फिर बैठ जाऊं ,थक हार के ,

मैं ये कोई बहाना हैं ,

बुजदिल कायर नहीं ,मानती हूं पैसे की ,

महत्ता हैं जग में ,थोड़ी क्या ,

बहुत तंगी भी हैं ,अपने जीवन में ,

पर गिरवी रख दूं ,स्वाभिमान अपना ,

मैं कोई स्वार्थी ,प्रवृत्तियों का बीज तो नहीं ,

मैं कल भी शून्य थी,मैं आज भी शून्य हूं ,

मैं किसी महत्त्वाकांक्षी ,अस्तित्व की धनी नहीं ,

जानती हूं ,हैं यही सत्य भी हैं,मैं हूं एक राही ,

सिर्फ सफर ही मेरा,हैं विरासत यहां ,

जिंदगी तो ,एक सफर सुहाना है ।

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Supriya Jain
Delhi