जिंदगी तो ,एक सफर हैं सुहाना….
जिंदगी तो ,एक सफर हैं सुहाना ,
फिर बैठ जाऊं ,थक हार के ,
मैं ये कोई बहाना हैं ,
बुजदिल कायर नहीं ,मानती हूं पैसे की ,
महत्ता हैं जग में ,थोड़ी क्या ,
बहुत तंगी भी हैं ,अपने जीवन में ,
पर गिरवी रख दूं ,स्वाभिमान अपना ,
मैं कोई स्वार्थी ,प्रवृत्तियों का बीज तो नहीं ,
मैं कल भी शून्य थी,मैं आज भी शून्य हूं ,
मैं किसी महत्त्वाकांक्षी ,अस्तित्व की धनी नहीं ,
जानती हूं ,हैं यही सत्य भी हैं,मैं हूं एक राही ,
सिर्फ सफर ही मेरा,हैं विरासत यहां ,
जिंदगी तो ,एक सफर सुहाना है ।