असफलता:एक कसौटी - ZorbaBooks

असफलता:एक कसौटी

ये कहानी राजस्थान की रहने वाली एक आम लड़की की है जिसका नाम है जागृति। जागृति की उम्र अठारह साल की थी जब वह इंटरमीडिएट में पढ़ती थी। जागृति पढ़ने में तो तेज थी ही साथ ही वह अन्य एक्टिविटी में भी हमेशा पृथम आती थी जैसे कि खेलकूद, घरेलू काम काज आदि में भी हमेशा नम्बर 1रहती। जागृति के परिवार में उसके पिता, माता और एक भाई है। लेकिन अफसोस की बात थी कि जागृति के परिवार में किसी को भी उसे आगे पढ़ाने की इच्छा नहीं थी। जागृति के परिवार के सदस्य चाहते थे कि उसकी इंटरमीडिएट पूरी हो जाए तो वे उसकी शादी करके अपनी जिम्मेदारी से आजाद हो जाएं। तो वहीं दूसरी ओर जागृति चाहती थी कि वह आगे पढ़े और पढ़ लिखकर एक आई .पी.एस.अधिकारी बने।समय बीतता गया और जागृति की इंटरमीडिएट की परीक्षाएं भी पूरी हो गईं थीं। और जब रिजल्ट आया तो देखा कि जागृति ने पूरे जिले में टाॅप किया है।जिसे देखने के बाद जागृति ने उसके पिता के सामने उसके आगे पढ़ने का विचार रखा। जागृति के विनती करने से, और उसके रिजल्ट को देखते हुए , उसके पिता ने उसे आगे पढ़ने की अनुमति दे दी। पिता की अनुमति पाकर जागृति ने दो साल सिविल पुलिस परीक्षा की तैयारी की और फाॅर्म डाला। उसने परीक्षा दी लेकिन इस बार वह असफल हो गई। उसकी यह असफलता उसके परिवार को बड़ी अखरी, और उसके पिता ने उसे आगे दोबारा कोशिश करने से मना कर दिया। जागृति के परिवार ने मिलकर उसकी शादी तय कर दी। लेकिन जागृति अपनी शादी से खुश नहीं थी क्योंकि वह तो कुछ और ही करना चाहती थी लेकिन हो कुछ और ही रहा था। लेकिन जागृति ने अपने हालातों से हार नहीं मानी। उसने फिर से कोशिश करने का तय किया और अपने परिवार को बिना बताए एक बार फिर से सिविल परीक्षा के लिए फाॅर्म भर दिया। अब दिन भर घर का काम -काज करती और रात में पढाई करती। धीरे -धीरे उसकी परीक्षा का दिन भी आ गया। लेकिन उसकी परीक्षा उसकी सगाई के दिन ही थी। जैसे -तैसे जागृति कोई बहाना बनाकर घर से तो निकल आई और एग्जाम हॉल में परीक्षा के लिए चली गई। लेकिन उसे इस बात का डर था कि वह परिवार के सदस्यों को बिना बताए ही परीक्षा दे रही है अगर इस बार भी असफल हो गई तो पता नहीं दोबारा कोशिश कर पाए या ना कर पाए। इन्हीं सब बातों को सोचते हुए जागृति ने परीक्षा दी, और घर चली गई। जिस दिन उसका रिजल्ट आने वाला था उसी दिन जागृति की शादी थी। परिवार के लोग तो खुशियां मना रहे थे लेकिन जागृति अपने कमरे में चुपचाप बैठी हुई थी, अपने रिजल्ट के इंतजार में।थोडी देर बाद रिजल्ट आ गया। जागृति ने भगवान का नाम लेकर आशाभरी निगाहों से अपना रिजल्ट देखा और उसे पता चला कि इस बार सिविल पुलिस में उसका नम्बर आ गया है। जागृति ने तुरंत उसके परिवार को ये बात बताई। जागृति के परिवार के लोग ये जानकर हैरान थे कि वो तो फेल हो गई थी फिर नम्बर कैसे आ गया? तब जागृति ने उन्हें बताया कि उसकी असफलता से उसके मन को शांति नहीं मिली। इसीलिए उसने एक बार और फाॅर्म डाला और इस बार जो उसने पहले की थीं, उनमें सुधार किया। जागृति का नम्बर पुलिस में आने से उसके परिवार के सभी सदस्य बहुत खुश हुए। जागृति के ससुराल वालों को जब ये पता चला तो वे भी बहुत खुश हुए। जागृति की इस सफलता से खुश होकर उसके पिता ने उसकी शादी का फैसला उसी पर छोड दिया, उन्होंने जागृति से कहा कि उसकी जब इच्छा हो ,तब शादी करे। उसके ऊपर परिवार की कोई जोर जबरदस्ती नहीं है। इसीलिए जागृति की शादी को कुछ समय के लिए आगे बढ़ा दिया गया और वह अपना काम करने लगी।जब जागृति को शादी करना सही लगा ,तब उसने शादी कर ली। और अपने कर्तव्यों को भी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से पूरा किया।

उद्देश्य ____________अपने लक्ष्य के लिए मन में लगन और ईमानदारी हो तो कोई असफलता हमें हमारे लक्ष्य तब पहुंचने से नहीं रोक सकती।

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Tanu Ambedkar
Uttar Pradesh