तलाश मेरे पूरी थी पर भटक वो रही थी. - ZorbaBooks

तलाश मेरे पूरी थी पर भटक वो रही थी.

तलाश मेरे पूरी थी पर भटक वो रही थी.

 शायरी मेरी थी अल्फाज उसकी थी।

 वक्त मेरा ख़राब था संभाल वो रही थी

 आलम मेरा था यकिन उसकी थी. 

चोट मुझे लगी ऑंसू उसकी थी. 

प्यार मेरा था और बेइंतहा मोहब्बत उसकी थी।

चाहती हैं बहुत मुझे वो धड़कने उसकी थी और जान मेरी थी. 

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Himanshu Kumar jha
Bihar