सादगी की जीत - ZorbaBooks

सादगी की जीत

एक गांव में दो जिगरी दोस्त रहते थे, एक का नाम राकेश और दूसरे का नाम सावरकर था। राकेश के पिता गांव के जमींदार थे और सावरकर के पिता गांव के स्कूल के हेडमास्टर थे। दोनों लड़कों में स्कूल में संग पढ़ते -पढते गहरी दोस्ती हो गई। राकेश को पिता के जमींदार होने का गर्व था इसलिए वह मनमौजी और आलसी स्वभाव का लड़का था, उसे अगर कोई चीज एक बार पसन्द आ जाती तो वह उसे हासिल करके ही मानता। वहीं दूसरी ओर सावरकर एक साधारण स्वभाव का लड़का था,वह पढ़ने में भी होशियार था और समझदार भी था। दोनों लड़कों की स्कूली शिक्षा पूरी हो चुकी थी। राकेश ने जैसे तैसे स्कूल की पढ़ाई की थी तो अब वह आगे नहीं पढ़ना चाहता था क्योंकि उसे पढाई-लिखाई बिल्कुल पसन्द नहीं थी। वहीं दूसरी ओर सावरकर ने ग्रेजुएशन में एडमिशन ले लिया और आगे पढाई को जारी रखा। ऐसे ही दो साल बीत गए। राकेश को पड़ोस के गांव की एक लड़की जिसका नाम रीना था , उससे प्यार हो गया और उसने उससे शादी करने का प्रस्ताव अपने पिता के सामने रखा, राकेश के पिता ने जवाब दिया कि “एक तो तू कुछ काम धंधा नहीं करता,कल को जमीन रही न रही, और फिर तुझे कोई दूसरा काम भी नहीं आता”। ये सब कहकर राकेश के पिता ने शादी के लिए इनकार कर दिया। लेकिन राकेश को अपने पिता का फैसला मंजूर नहीं था। उसने अपनी प्रेमिका को भगाकर शादी कर ली और दूसरे गांव में जाकर रहने लगा। वहीं दूसरी ओर सावरकर की ग्रेजुएशन पूरी हो चुकी थी ।अब उसने भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए फार्म डाला । सावरकर जब इस परीक्षा की कोचिंग कर रहा था तब उसकी मुलाकात संध्या नाम की एक लड़की से हुई। संध्या बहुत खूबसूरत लड़की थी। संध्या सावरकर को पसंद करती थी।एक दिन मौका देखकर संध्या ने सावरकर को अपने मन की बात बता दी कि वह उसे पसंद करती है।तो सावरकर ने संध्या से कहा कि “तुम एक अच्छी लड़की हो, मैं तुम्हारा बहुत आदर करता हूं लेकिन मैं जब तक सफल नहीं हो जाता तब तक इस बारे में नहीं सोच सकता । संध्या ने उसकी बात को समझा और उसके फैसले को स्वीकार किया।एक साल और बीत गया। राकेश के पास अब पैसों का कोई बंदोबस्त नहीं था। घर से भागकर शादी करने के कारण पिता ने संपत्ति से भी बेदखल कर दिया। राकेश आलसी होने के कारण दिन भर घर में पडा रहता था और रीना से अपनी सेवा करवाता था।अब राकेश और रीना की भूखे रहने की नौबत आ गई थी। रीना ने राकेश से कहा कि “तुम कुछ काम क्यों नहीं करते, दिन भर घर में आराम करते रहते हो”। रीना की बात सुनकर राकेश को गुस्सा आ गया और उसने रीना को मारना पीटना शुरू कर दिया। ऐसे लगातार भूखे रहने और पति के अत्याचार सहती रीना बहुत दुखी होकर राकेश को छोड़कर चली गई।अब वह अकेला रह गया। पत्नी के छोड़ने के गम में उसने शराब पीना शुरू कर दिया। वहीं दूसरी ओर सावरकर ने सिविल परीक्षा पास कर ली और ट्रेनिंग पर चला गया । उसके कुछ समय बाद ही संध्या ने भी सिविल परीक्षा पास कर ली। उसने यह बात सावरकर को बताई । सावरकर बहुत खुश हुआ। कुछ समय बाद संध्या की भी ट्रेनिंग पूरी हो गई।अब दोनों बड़े अधिकारी बन गए। कुछ समय के बाद उन्होंने शादी कर ली। और खुशी खुशी अपना आगे का जीवन शुरू किया। दूसरी तरफ राकेश बुरी तरह बीमार पड गया था।वह रीना को वापस लाने उसके घर गया तो उसे पता चला कि रीना ने दूसरी शादी कर ली है।वह वहां से वापस आ गया। उसने सोचा कि अब उसे उसके पिता के घर जाना चाहिए।ये सोचकर वह अपने पिता के घर गया, राकेश के पिता जोकि राकेश के बिना बताए शादी करने से बहुत नाराज़ थे, राकेश को देखकर बोले कि “अब क्या लेने आया है? अब तुझे कुछ नहीं मिलेगा, चला जा यहां से।” पिता की बेरूखी देखकर राकेश वहां से उलटे पांव ही चला आया।एक बार सावरकर और संध्या गांव घूम रहे थे तो उन्होंने देखा कि गांव के बाहर एक शराबी सो रहा है। पास जाकर देखा तो ये राकेश था जो बहुत कमजोर हो गया था। उन्होंने उसे उठाया और अस्पताल ले गए। वहां डाक्टर ने बताया कि राकेश की दोनों किडनी खराब हो गई हैं।अब इसका बचना मुश्किल है। लेकिन सावरकर ने फिर भी कोशिश नहीं छोडी वह राकेश को दिल्ली के बड़े अस्पताल में लेकर गया लेकिन रास्ते में ही राकेश की मृत्यु हो गई। और सावरकर की दोस्ती अधूरी ही रह गई।

उद्देश्य _____आलस व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन है। ऐसे आलसी को त्याग देना चाहिए जो जिंदगी त्यागने पर मजबूर कर दे।

प्यार करना गलत नहीं है बस सामने वाला व्यक्ति ऐसा हो जो हमेशा अपने प्रेमी को सफल बनाना चाहता हो, वरना जिंदगी बर्बाद हो जाती है।।

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Tanu Ambedkar
Uttar Pradesh