उस वक्त के लिए…
जिस वक्त के लिए लढ रहे हैं
उसी पल के लिए सब्र कर हैं
कभी भी भिड में फ़स ना जाउ
कभी कचरे की तरह उड़ न जाउ ।
इसिलिए तो झुका हू
इसिलिये तो रुका हू ।
खुद पर यकीन कर रहा हू
मैं खुद के लिए लड़ रहा हू ।
क्या पता आज की डोर
कल की पतंग उड़ाये !!