Description
पुस्तक का संक्षिप्त परिचय
पुस्तक “दस कदम मंजिल की ओर” प्रत्येक क्षेत्र जैसे- राजनैतिक ,सामाजिक , शिक्षा (विद्यार्थियों एवं अध्यापक) , व्यापार, नौकरशाही और सेल्स एंड मार्केटिंग आदि क्षेत्रों में कार्य करने वाले जीवित (सक्रिय) एवं महत्वाकांक्षी व्यक्तियों के लिए है जो नकारात्मक दृष्टिकोण लेकर असफल निराश बैठें है और जिन्होंने जीवन को कुएं के मेढक की तरह मान लिया है इस पुस्तक में उनके दिमाग में लगी जंग की मोटी परत को काटने का मंत्र है।
इस पुस्तक में मंजिल पर पहुँचने के लिए दस कदम दस अध्यायों के माध्यम से समझाये गये है लेखक ने प्रत्येक अध्याय में अलग-अलग विषय को सरल शब्दों में हिंदी और अंग्रेजी के उदाहरण और कहावतों के माध्यम से रोचक और प्रेरक कहानियों द्वारा समझाने का प्रयास किया है, कई उदाहरण और कहानी में तो लेखक के जीवन से जुडी घटनाओं का जिक्र है , इस पुस्तक की सरल भाषा को समझने के लिए बहुत दिमाग लगाने की जरूरत नही है आप को पढ़ने के बाद एक अलग ऊर्जा का एहसास होगा एक निवेदन है कि इस पुस्तक के सभी 10 अध्यायों को एक ही दिन में पढ़कर इतिश्री नहीं करें क्योंकि ये पुस्तक कॉलेज में तीन घंटे की परीक्षा के लिये एक दिन में की गई तैयारी की तरह नही है थ्योरी के साथ प्रक्टीकल भी जरूरी होता है प्रक्टीकल से विषय दिमाग मे हमेशा के लिए अंकित हो जाता है। महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण को आधार बनाकर जरूरी कार्यों की समाप्ति के बाद एकांत में समय तय कर पुस्तक का अनुसरण करने से लेखक का इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य सार्थक होगा और आपका पढ़ने का ।।
लेखक के बारे में
“दस कदम मंजिल की ओर” पुस्तक के लेखक दिनेश अगरिया आगरा जिला की किरावली तहसील के एक सामान्य किसान परिवार से है, मेट्रिक के बाद धन के संकट के कारण आर्थिक समस्या ओ के निराकरण के लिए छोटी उम्र से ही अध्यापन शुरू कर दिया। परिवार पर अचानक आये संकटों के कारण माता पिता को सहयोग करने हेतु बाल्य-काल से ही संघर्ष करना पड़ा।
विधुत इंजीनियरिंग में चयन स्नातक और परसना तक की शिक्षा पूर्ण कर निजी कम्पनी में कुछ वर्ष कार्य किया और बाद में बीमा के क्षेत्र में अभिकर्ता के रूप में कार्य करते-करते अभिकर्ताओं को प्रशिक्षण देने का कार्य करने लगे। लेकिन लेखक के अन्तरमन कुछ और ही सपने छिपे थे आकाशवाणी आगरा में काव्य पाठ से संस्कृति कार्यक्रमों की शरुआत हुई आगरा के वार्षिक समारोह ताज महोत्सव में लगातार कई वर्ष तक मंचों से प्रस्तुति दी कवि सम्मेलनों के मंचों से आमंत्रण आने लगे और आगरा के स्थानीय टीवी चैनल में काव्य क्षेत्र में कार्य किया। विवाह पश्चात धन की समस्या का संकट पुनः उत्पन्न हो गया जिसके कारण कला क्षेत्र से दूरियां बन गई और फिर एक बार निजी कंपनी में मार्केटिंग एक्जीक्यूटि के पद पर कार्य करना पड़ा और इसी बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ने का अवसर मिला यहां से लेखक को गौरव की अनुभूतिू होने लगी संघ की विचार धारा लेखक के लिए प्रेरणा बन गई निस्वार्थ भाव से प्रचारकों को कार्य करते देखा तो लेखक का जीवन भी राष्ट्र सेवाओ और सामाजिक सेवाओ में रमने लगा यहाँ से जीवन में बदलाव की स्थिति आई और राजनीति क्षेत्र में लेखक को मीडिया प्रभारी के तौर पर कार्य करने का अवसर मिला तो फिर से पुरानी यादें ताजा होने लगी अखबारों और पत्रिकाओं के माध्य म से सामाजिक कुरीतियों और समस्याओं का निवारण आदि पर कई वर्षों तक लेख आदि लिख कर समाज की चेतना को जगाने का काम किया जीवन में बदलावों के दौर चलते रहे जिसका परिणाम ये पुस्तक है।
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