missing childhood - ZorbaBooks

missing childhood

दर्द बाकी है कहीं अभी दिल में मेरे यह दर्द अब आंसुओं के ज़रिये बाहर क्यों नही आता
जैसा जन्मदिन और त्यौहार बचपन में मनाया जाता था अब वैसा त्यौहार क्यों नही आता

ना कोई उत्सा ख़ुशी और इच्छा रही अब किसी
बात की पहले की तरह
हफ्ते में जिस एक दिन का इंतज़ार रहता था अब वो बचपन जैसा रविवार क्यों नही आता

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divyanah narang