मेरे अनकहे अल्फ़ाज़ - ZorbaBooks

मेरे अनकहे अल्फ़ाज़

गिला किससे करें मोहब्बत का तेरी

तुम भी मेरे थे और मोहब्बत भी मेरी थी

किस्से किससे कहें तेरी बेवफ़ाई के

बेवफ़ाई भी अपने दे गये यादें भी अपने छोड़ गए

तेरे जाने के गम में निकले आंसू किसको दिखाये

आंसू भी मेरे और उनमें लिखे जज्बात भी मेरे

तू कहता अगर तो ये दुनिया छोड़ देते हम

बसाकर अपनी अलग दुनिया अलग गीत लिखते हम

तेरी बेरुखी ने बिखरा दिया मुझे

वरना इंसा तो हम भी संवरे हुए थे

तेरी खुशियों के संग आजाद किया है हमने तुझे

तू हंसेगा तो मुस्कान तो यहां भी आयेगी आसूंओं संग

 

 

 

Comments are closed.

हेमंत यादव