मेरे अनकहे अल्फ़ाज़
गिला किससे करें मोहब्बत का तेरी
तुम भी मेरे थे और मोहब्बत भी मेरी थी
किस्से किससे कहें तेरी बेवफ़ाई के
बेवफ़ाई भी अपने दे गये यादें भी अपने छोड़ गए
तेरे जाने के गम में निकले आंसू किसको दिखाये
आंसू भी मेरे और उनमें लिखे जज्बात भी मेरे
तू कहता अगर तो ये दुनिया छोड़ देते हम
बसाकर अपनी अलग दुनिया अलग गीत लिखते हम
तेरी बेरुखी ने बिखरा दिया मुझे
वरना इंसा तो हम भी संवरे हुए थे
तेरी खुशियों के संग आजाद किया है हमने तुझे
तू हंसेगा तो मुस्कान तो यहां भी आयेगी आसूंओं संग