खत - ZorbaBooks

खत

खत लिखू तो अब रोने लगता हूँ 

पलके अपनी भिघोने लगता हूँ 

 

तुम oxision हो मेरी

तुम दूर जाती हो तो सांसे खोने लगता हूँ 

 

 

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Nikhil kumar