ये रंग तो उतर जाएंगे
ये रंग तो उतर जाएंगे
बदल कर चेहरे फिर घर जाएंगे
वो जो पहले से चढ़ा है रंग बदलने का रंग
मेरे दुश्मन मुझे बर्बाद कर फिर से संवर जाएंगे।
अजीब रंग बदलता है ए जिंदगी तू हर रोज़
हमें इतना परेशान न किया कर कि हम मर जाएंगे
ये जो झुर्रियां हैं चेहरे पर खुशियां का वो कुछ नहीं
उदासियों का क्या हम गम-ए-सुखन में फिर संवर जाएंगे
जिधर भी देखूं मुझे तुम ही तुम नज़र आती रही हो
आंखों में नींद भी अब नहीं कि आंसु-ए-गम भर जाएंगे।
– आशु चौधरी "आशुतोष