पानी - ZorbaBooks

पानी

मैं हूं पानी जीवनदानी

मेरी है अनमोल कहानी,

यदि ना होता मैं जग में तो, कैसे जीवित रहते प्राणी।

सागर ने नदियों से पाया, नहरों से गांव तक आया,

भेद भाव नहीं कभी किसीसे, रामलाल हो या रहमानी।

मैं हूं पानी जीवनदानी।

हिमगिरि के शिखरों से बहता

ताल,  पोखर, झरना भरता, विरहरन में करता मनमानी। 

मैं हूं पानी जीवनदानी।।

Comments are closed.