Jaan - ZorbaBooks

Jaan

जिंदगी यू ही चलती रही लम्हा – लम्हा,

कि अचानक से तुम आये

हँसते रहे खिलखिलाते रहे ,

यूँ हर ख्वाब को संजोते रहे ,

तेरा – आना तेरा – जाना ,

हर पल को यू ही देखते रहे, 

यू हुआ की कोई आरजू न रही ,पलकों से बस एकटक देखते रहे ,

वो लम्हा भी आया जब तुम हम से रुखसत हो लिए ,

कुछ कह न सके बस आँखों के किनारे भिगोते रहे ,

याद करके जान निकल जाती है, ए – ख़ुदा ऐसा दिन कभी

किसी को न मिले| 

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