कुछ-कुछ जीवन
पतझड़ में पत्ते झड़ जाए तो, पेड़ नहीं काटा करते,
क्रोध की वर्षा हो रही हो तो, बाहर नहीं झांका करते,
बात बिगड़ रही हो तो, ज्यादा नहीं संभाला करते,
चिकनी चुपड़ी बातों में आकर, दिल नहीं हारा करते,
कभी गांठ पड़ जाए तो, रिश्तो की डोर नहीं काटा करते,
झूठ को सच बनाने का, प्रयास नहीं किया करते,
जीवन कुछ कुछ ऐसा सा है, हर बात नहीं बांटा करते।।