मौसमी ख्वाब - ZorbaBooks

मौसमी ख्वाब

कुछ ख्वाब ऐसे जो सर्दी में जम गए, गर्मी में पिघल गए,

और बसंत आते-आते उनके मायने बदल गए।

अब तो उम्र हो गई और ख्वाब उम्र के साथ-साथ ढल गए।।

 

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