"चाहत" - ZorbaBooks

“चाहत”

मैं कितनी दूर गया हूँ कोइ बता दे मुझे,
कोई तो लौटने का रास्ता दिखा दे मुझे

बहोत दिन बीत चुका है मिरा रोते-2
मेरी अरदास है आके कोई हँसा दे मुझे

मैं अपने आप की मशगूलियत को क्या बोलूँ
तु ही मेरी तरफ आने का इत्तला दे मुझे

अब कोइ बात ना कर, मिलके फिर बिछड़ने की
कोइ ख़बर भि ना दे जो कभी रुला देमुझे

वही सब जिस्को मोहब्बत क जाम कहते हैं
मिला मिला के , खूब घोट के पिला दे'मुझे

वही सपने, वही रातें, वही अञ्जानापन
कोइ सब लेके मेरा बचपना दिला दे'मुझे

-©अभ्भू भइया

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