कलम जब है बोलती
कलम में वो ताकत है जो तलवार भी नहीं कर सकती,
कलम रक्तपात को रोककर दिलो-दिमाग को है छूती।
अंतर्मन को भेद कलम मन मस्तिष्क को सींच देती,
बोलती है जब कलम तो परिवर्तन निश्चित ही करती।
परिवार-समाज कल्याण के प्रति सोच परिवर्तित करती,
मन के अंतर्द्वंद को कलम शब्दों में पिरोकर प्रस्तुत करती।
नव रस घोल देती कलम पन्नों पर उकेर कर सोच-विचार,
कविता,कहानी,गज़ल,गीत-संगीत,भावों को कर प्रस्तुत।
जागृत करती नई उम्मीद, विश्वास प्रबल, नव चेतना भर
परिवर्तन निश्चित है करती, स्याही कलम की ताकत बन।
कलम है जब बोलती तो जन-जन में नव चेतना भर देती,
पराक्रमी-अहिंसक तौर, जनकल्याण हेतु नव निर्माण करती।