उस वक्त के लिए... - ZorbaBooks

उस वक्त के लिए…

जिस वक्त के लिए लढ रहे हैं

उसी पल के लिए सब्र कर हैं

कभी भी भिड में फ़स ना जाउ

कभी कचरे की तरह उड़ न जाउ ।

इसिलिए तो झुका हू

इसिलिये तो रुका हू ।

खुद पर यकीन कर रहा हू

मैं खुद के लिए लड़ रहा हू ।

क्या पता आज की डोर

कल की पतंग उड़ाये !!

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Aruna Junare