बर्दाश्त - ZorbaBooks

बर्दाश्त

खूबसूरत नौजवान पवन ट्रेन में एक खिड़की वाली सीट पर बैठ गया। उसने देखा सामने वाली सीट पर एक खूबसूरत लड़की बैठी थी। लडकी ने काले रंग का कोट पाहना हुआ था और ऊपर से पश्मीना शाल ली हुई थी।

   खिड़की से उसकी माँ समुझा रही थीकोमल अपना ध्यान रखना । चंदीगड़ पर उतरना नहीं तेरी मौसी का बेटा राकेश तुझे लेने आएगा

     पवन बातूनी था और कोमल भी कम नहीं थी। ट्रेन चलते ही 

पवन : आपकी पर्फयूंम की खुशबू बहुत अच्छी है

कोमल:  शुक्रिया । बात यह है कि यह परफ्यूम मुझे बहुत पसंद है और हाँ यह इम्पोर्टेड है

पवन : कहां की ?

कोमल:  मेरी मौसी मंगवा कर देती है पैरिस से! 

पवन :   पैरिस से! तभी तो!

कोमल: मैं यह ही लगाती हूँ क्यूंकि मुझे फ्री में मिलती है

पवन : इतनी अच्छी वो भी फ्री

      दोनों हंस पड़े।

पवन : आप कहां तक जाएँगी।

कोमल:  चंडीगढ़ तक। मेरा कज़िन लेने आयेगा । वो मुझे बहुत प्यार करता है

पवन :   लक्की हो। देखो न मुझे तो प्यार करने वाला कोई मिला ही नहीं

कोमल: बातें बना रहे हो। कोई तो आप को पसंद करती होगी।

पवन:  हाँ  हो सकता है पर किसी ने बताया नहीं।

कोमल : क्या इरादा है ? मैं कैसी लग रही हूँ

   पवन चौंका।

पवन: कैसी बातें कर रही हैं। पहली ही  मुलाकात में । मैं आपका नाम भी नहीं जानता।

कोमल :  तो जान लो  मैं कोमल ।

पवन:  कोमल कितना अच्छा नाम है । जैसा नाम वैसी ही चहरे पर कोमलता ।

कोमल : बातें बनाना तो कोई आप से सीखे। आप  को

लडकीयों को इम्प्रेस करना खूब आता है।

पवन :  आप  भी तो बातों में कुछ कम नहीं हो।

    दोनों के मुंह से निकला मिल बैठे हैं दीवाने दो

पवन : आप कसौली तक जा रही हैं।

कोमल : बताया न चंडीगढ़ । मेरा कज़िन राकेश लेने आयेगा।

पवन : मैं कसौली जाऊंगा वहां से शिमला।

कोमल : मेरा भी बहुत मन करता है शिमले जाने का।

पवन : आप चाहें  तो मेरे साथ चल सकती हैं ।

कोमल : बहुत चालू हो।

पवन : अरे इतनी खूब्सूरत लड़की का साथ कौन नहीं चाहेगा।

   दोनों ज़ोर से हंसे। बातें करते रहे, चंडीगढ़ आ गया ट्रेन रुकने को थी पवन को वही पुराना दिल दौरा पड़ा। पवन ने सारबीट्रेट की डिबी निकाली और एक गोली निकालने की कोशिश की पर हाथ हिल रहे थे डिबी गिर गयी।

पवन : कोमल ज़रा डिबी तो उठा दो।

कोमल ने कुछु नहीं किया ।

पवन डिबी  उठाने की कोशिश करता रहा। उसका हाथ डिबी तक पहुँचता पर डिबी उठा नहीं पा रहा था। आखिर बड़ी मुश्किल से डिबी उठा पाया और एक गोली जीभ के नीचे रखी। थोड़ी देर में दर्द कम हो गया।

पवन : कोमल! तू भी कमाल की लड़की हो, ज़रा मेरी मदद नहीं कर सकती थीमेरी जान निकल रही थी । हमने  इतना अच्छा वक़्त बिताया। तुझे मेरे ऊपर ज़रा भी तरस  नहीं आया। तेरे  अन्दर तो इंसानियत नाम की कोई चीज़ है ही नहीं। राकेश तुझे प्यार कैसे कर सकता है तू प्यार के लाइक है ही नहीं । मैं डिबी नहीं उठा पता तो मेरी लाश तुम्हारे सामने होती और तू ही मेरी मौत की ज़िमेवार होती……..

पवन चिलता जा रहा था गुस्से में कुछ कुछ कहता जा रहा था कोमल के आंसूं बह रहे थे । जब कोमल की बर्दाश्त के बाहर हो गया तो कोमल झटके से उठीउठते ही उसकी शाल नीचे गिरी। पवन ने देखा कोमल के कोट की दोनों बाहें खाली लटक रहीं थी और कोमल रोती जा रही थी।

 

 

 

 

 

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Bansi Dhameja