कुछ सफर ये याद भी लम्बा था - ZorbaBooks

कुछ सफर ये याद भी लम्बा था

कुछ सफर ये याद भी लम्बा था
कुछ हम भी थोड़ा सुस्त चले
कुछ हम भी मंजिल भूल गए
कुछ रास्ते हमें बहुत मिले
और आज दुखो का साया है
हर तरफ है छाई वीरानी
हर तरफ उसी का साया है
कुछ सफर ये याद भी लम्बा था
कुछ हम भी थोड़ा सुस्त चले….. Hy

 

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Hanu yadav