Bhula Nahi Sakta - ZorbaBooks

Bhula Nahi Sakta

चले जाओगे अगर दूर तो बुला नही सकता
याद आओगे बहुत लेकिन भुला नही सकता

मेरी आँखे दरिया हो जायेंगी तुम्हारे खातिर
सिसक सकता हूँ चीख-चिल्ला नही सकता

इश्क़ दोनों ने कियाथा सजा सिर्फ मैने ही पाई है
और कोई तरीका दिल को मेरे बहला नही सकता

जो हुआ अच्छा हुआ दोनों की राहें मुख़्तलिफ़ हैं
अबना कोई हंसा सकता है कोई रुला नही सकता

बज़्म-ए-रिंदाँ में ख्वाहिश है साग़र को सागर की
बज़्म-ए-जानाँ में कोई होटों से पिला नही सकता 
 
इक रौशनी के लिये दर-दर भटकते हो तुम भी
काविश की तरह कोई अपना घर जला नही सकता।

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Himanshu Jaiswal KAAVISH