देखते-देखते(बेबफाई) - ZorbaBooks

देखते-देखते(बेबफाई)

मैं अंजान हूॅं मुझे अंजान रहने दो। वो लम्हें गुज़र गए जिस समय मुझे आप जानते थे और मैं भी वो दौड़ गुजार दिया देखते-देखते। 

शायराना अंदाज था मेरा और आप मेरे अल्फाज थी अल्फाज भी भूल गए और मैं शायरी भूल गया देखते-देखते। 

मैं बहुत खुश रहता था पहले अब उदास सा रहने लगा हूॅं उसे जाने के बाद खुशियां से बहुत दूर चला गया हूॅं देखते-देखते।

मैं गुम-सुम सा बैठा रहता हूॅं मेरे वो रौनक भी चला गया देखते-देखते। सायद वह भी खुश नहीं होगी, मुझे उसने तभा किया देखते-देखते।

मुझे जिंदगी के उस मोड़ पर छोड़ा जिससे वापस भी नहीं आ सकता। मुझे ख्वाब दिखाकर मेरी जिंदगी को लुटा रही थी देखते-देखते।

खामोशी थी उसकी चेहरे पर मुझे क्या पता मुझे ठोकर मारने की खामोशी थी मेरे हौशले को तोड़ा देखते-देखते।

दिन गुज़रते गए उसका अलग होना जारी रहा, मैं पल-पल मरता रहा, आखिर क्यों दूर हो रही है मुझसे वो बेबफाई की। उसका बेबफाई बढ़ता गया देखते-देखते।

सांसों में भर कर रखा था उसको मैं ,वो गयी तो सांसे बंद होने लगी देखते-देखते। दिल में रहता था उसका नाम दिल का धड़कना कम होने लगा देखते-देखते । ख़्वाब में आती थी वो अब वो भी आना बंद हो गया देखते-देखते।

मैं क्यों इतना टेंशन कर रहा हूॅं वो तो चली गई देखते-देखते , मैंने अपनी जिंदगी भी उसके नाम किया था वो बर्बाद कर गई देखते-देखते । मैंने सब कुछ छोड़कर उसे अपना माना था मुझे छोड़ कर चली गई देखते-देखते।

मैं अब सुधर गया हूॅं और बीते बातों को भूल रहा हूॅं देखते-देखते । मेरा एक तरफा प्यार था मैंने निभाया और वह मुझसे अलग हो गई देखते-देखते । अब मैं बदल गया हूॅं देखते-देखते। सब कुछ छोड़कर अपने आप को उससे बेहतर बन रहा हूॅं देखते-देखते ।।

Comments

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  1. Dayanand kumar says:

    💔💔💔💔💔

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Himanshu Kumar jha
Bihar