सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।(STUDENT REAL STORY) - ZorbaBooks

सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।(STUDENT REAL STORY)

ख़ूबसूरत सी दुनिया सहमे हुई हम बिख़रे हुए जिन्दगी उलझे हुए हम। बेबफा के मारे जिंदगी के तराशे हीरे हैं हम हुस्न ने नूर में चूर और बेकसूर हैं हम। जिंदगी के राह में लगता है बेफिजूल हैं हम। अपनी मंजिल की तलाश में बेकसूर हैं हम। सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।

जिंदगी की तलाश में बहुत धीरे हैं हम। जिंदगी के गहराई से बहुत उच्चे हैं हम। ख्वाब बड़े पर निचे हैं हम। सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।

मैं कामयाब नहीं हूॅं यह कह कर कोशिश कर रहे हैं हम। अपनी जिंदगी से आगे निकल कर कुछ सोच रहे हैं हम। अक्सर दिल में एक बात आती हैं मंजिल से दूर हैं हम या अब पास हैं । सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।

खुबसूरत सपने को अपने अंदर छुपाई हुई रखे हैं हम। ये सोच कर कि पूरा करना है कोशिश कर रहे हैं हम। क्या करें बहुत कठिनाईयां सी आ गई हैं जिंदगी में।

क्या करना नहीं, सोच रहे हैं दिल मे जो सपना हैं कि और कोई दूसरा सोच रहे हैं। मन में बहुत से सवाल हैं उसे धीरे-धीरे जान रहे हैं। खोया हुआ हूॅं जिंदगी मैं एक राह तलाश रहे हैं। सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए है हम।

जिंदगी में बहुत रोया हूॅं मैं अब तो मेरे साथ पूरा परिवार भी रोएगा अब हासिल नहीं हुआ तो मेरे सपने को पूरा परिवार भी खोएगा।

राह सा ढ़ूढ रहा हूॅं इस दल-दल से निकलने का, लेकिन आगे कुछ सूझ नहीं रहा है कुछ करने का। अंधा सा हो गया हूॅं लक्ष्य को खोजने में, अब शायद लक्ष्य को पाने के लिए, दिन को दिन नहीं रात को रात न मान कर लड़ना पड़ेगा। सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।

बचपन में कोई चिंता नहीं थी तो दिन रात पढ़ता था अब कुछ पाने का है तो कुछ नहीं करता हूॅं कोचिंग से आता हूॅं बुक रख के सो जाता हूॅं थोड़ा देर होता उठता हूॅं खाता हूॅं भी सोशल मीडिया देखता जाता हूॅं मैं सोच कर पागल सा हो जाता हूॅं अभी भी लेट नहीं हुआ हैं। यह कभी नहीं सोचता हूॅं। सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।

पढ़ने का रंग तो यहाँ आने के बाद भी था मुझे लेकिन मेरी संगत की वजह से मैं खराब था। पढ़ने के जगह मैं फिल्म देखने जाता था अब परीक्षा आने वाली है तो कोशिश कर रहा हुं।हद है मेरी इस ख्यालों से अब तंग सा आ गाया हूॅं। साल भर पढ़ा नहीं अब देखो कैसे पास हो जाता हूॅं। सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।

अब भी अकल नहीं आया है रात भर बात करता हूॅं परीक्षा में क्या होगा यह समझ नहीं आता है। दो पल का वक्त है मेरे इस जीवन का मजा से जी लेता हूॅं कितने पल बीत गए पर फिर भी यही सोच रहा हूॅं। सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।

रोज नए-नए पढ़ने का सोचता हूॅं और रोज 3 बजे सुबह तक गर्लफ्रेंड से बात करते हुए फ़ुर्सत न होती तो क्या पढ़ने का सोच रहा हूॅं। .सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।

जितनी देर पढ़ता था उससे ज्यादा अब ऑनलाइन रहता हूॅं । बाबू सोना कह कर अपने मन को मोहता हूँ। अब तो कुछ कर दिखाने का मन से निकाल लिए हैं अब तो रिश्तेदार पापा को बोलेंगे आपका बेटा कोटा मे मशहूर हो गया है। सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।

पापा ने गरीबी के हालात में मुझे कुछ पैसे दिए, जिसे मैंने एडमिशन कराया, पापा सोचते थे बेटा कुछ कर दिखाएंगे। सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।

पापा जो सोचते थे ओ पूरा नहीं होने वाला हैं कैसे कहू कि पापा नहीं होने वाला हैं कोटा भेजा गरीबी हालत में अब भी वही गरीब लौटाने वाला हूॅं। खुश था आकर यहाँ पर दुःख होकर जाने वाला हूँ। .सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।

काश अच्छी तरह से पढ़ता तो आज कुछ और ही मजा होता काश 3 बजे तक जो टाइम खराब करता वो पढ़ने में लगाया होता जिस ख्वाब की तलाश में वह मेरे पास होता। सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।।

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Himanshu Kumar jha
Bihar