ख्यालों में मुझे तुमने बांधा था - ZorbaBooks

ख्यालों में मुझे तुमने बांधा था

ख्यालों में मुझे तुमने बांधा था मैं जो कहता था वो सब मानता था। मेरे चेहरे को रौनक से जगमगाती थी। और मेरे लिए कितनों को डांट लगाई थी मुझे कम उम्र मैं भी बड़े बड़े उड़ान उड़ना सिखाती थी तुम्हारे हर एक बातों के लिए तरसता हूॅं तू कहा चली गई माँ तेरे बिना अब न रह पाता हूॅं।

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Himanshu Kumar jha
Bihar