विश्वास। और यही विनाश का आगाज है - ZorbaBooks

विश्वास। और यही विनाश का आगाज है

न कोई डर हैं न कोई लाज हैं। सपनों के पैरों तले रखे हैं क्या होगा परिणाम ललाट पर लिखी है विजय पाने का राज लेकिन किन्हीं मामूली बातों में फंसकर खो रहा हूॅं मन का विश्वास।

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Himanshu Kumar jha
Bihar