Intazar kar rahe h hum... - ZorbaBooks

Intazar kar rahe h hum…

ये कितनी बड़ी भूल कर रहे है हम, दूसरी बार भी तुम्ही से मोहहोबत्त कर रहे है हम 

वो वादे जो कुछ पल के वादे थे , वही वादे आज फिर उम्र भर के लिए कर रहे है हम

कितनी मुश्किलो से अश्क बहाने भूले थे , अपने ही हाथों से फिर वजह कर रहे है हम

वो जो किसी एक का कभी हो नही सकता, फिर उन्हें मोहहोबत्त में खुदा कर रहे है हम

तुम्हारा जाना तो इस बार भी तय है ना , ईन्तज़ार 

कर रहे है हम। ………

Comments are closed.

Ishant Bhatt