Ghazal
Ghazal || ग़ज़ल ॥
उसको अब मेरी आदत है
बोला था जो तू आफ़त है
जिसको मतलब से मतलब है
उससे ही मुझको राहत है
तुम अब तक भी ना बदले
अब तो तुमपर भी लानत है
वो तो मेरी ना है अब भी
फिर भी उससे ही चाहत है
जी करता है की मर जाऊँ
अब ऐसी मेरी नौबत है
– कबीर अल्तमश
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