तुम्हे दिल में बसाना चाहता हुँ
तुम्हे दिल में बसाना चाहता हूं
प्यार की शिद्दत दिखाना चाहता हूं
गम को अपने आज सारे भूलकर
संग तेरे मुस्कुराना चाहता हूं
धूप छाव का मुझे फिर डर नहीं
तेरी जुल्फों में ठिकाना चाहता हुं
चंद लम्हों की मुलाकातें नहीं
संग तेरे एक ज़माना चाहता हूं
चांद जब देखे तुझे शर्माए खुद
तुझको कुछ ऐसा सजाना चाहता हूं
मेरे हर एक शेर की ताबीर तुम
ग़ज़ल ऐसी एक सुनाना चाहता हूं
जिस जगह पर दिल तुम्हारा भर जाए
बस वही से लौट जाना चाहता हूं