तुम्हे दिल में बसाना चाहता हुँ - ZorbaBooks

तुम्हे दिल में बसाना चाहता हुँ

तुम्हे दिल में बसाना चाहता हूं

प्यार की शिद्दत दिखाना चाहता हूं

गम को अपने आज सारे भूलकर

संग तेरे मुस्कुराना चाहता हूं

धूप छाव का मुझे फिर डर नहीं

तेरी जुल्फों में ठिकाना चाहता हुं

चंद लम्हों की मुलाकातें नहीं

संग तेरे एक ज़माना चाहता हूं

चांद जब देखे तुझे शर्माए खुद

तुझको कुछ ऐसा सजाना चाहता हूं

मेरे हर एक शेर की ताबीर तुम

ग़ज़ल ऐसी एक सुनाना चाहता हूं

जिस जगह पर दिल तुम्हारा भर जाए

बस वही से लौट जाना चाहता हूं

 

 

 

 

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khalidamu786