आओ दीवारों से कुछ बात करें - ZorbaBooks

आओ दीवारों से कुछ बात करें

वक्त ने दिए आज

फुर्सत के कुछ अनजान लम्हे

जैसे भूल गए थे हम

अपनी ही शख्सियत को

लक्ष्मण रेखा के दायरे में

आओ दीवारों से कुछ बात करें

अपनी ही परछाईयों से

बना ली हमने यहाँ दूरियाँ

हुक्म है यहाँ किसीका

अपनों को स्पर्श न करना

सूनी-सूनी तन्हाईयों में आज

आओ दीवारों से कुछ बात करें

कैद हो गयी है ज़िन्दगी

अपने ही बनाये पिंजड़े में

सागर की लहरों को भी

मिलता नहीं कोई किनारा

रेगिस्तान के बंद कमरों में

आओ दीवारों से कुछ बात

 

 

 

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एकान्त नेगी