परिचय दो अपना तुम कौन हो
कभी ख़ामोश तो कभी मौन हो !
कभी हिमालय से रूठी पौन हो
परिचय दो अपना तुम कौन हो !!!
अजंता-एलोरा में मेरी तलाश हो !
उषा फिर महकेगी मत निराश हो
तुम क्षितिज में खिलता पलाश हो !!!
बसंत में कोयल गाती नहीं !
दिल से क्यों तेरी याद जाती नहीं
तेरे सिवा कोई तस्वीर भाती नहीं !!!
जब काली घटायें गरजती हैं !
जब भीगे सावन में बूँदें बरसती हैं
सखी मिलन को आँखें तरसती हैं !!!
यूं नज़रें झुकाकर मत जाया करो !
चोरी-चोरी दिल में मत आया करो
ख़ामोशियों में धुन कोई गाया करो !!!