परिचय दो अपना तुम कौन हो - ZorbaBooks

परिचय दो अपना तुम कौन हो

कभी ख़ामोश तो कभी मौन हो !
    कभी हिमालय से रूठी पौन हो 
      परिचय दो अपना तुम कौन हो !!!

अजंता-एलोरा में मेरी तलाश हो !
   उषा फिर महकेगी मत निराश हो 
      तुम क्षितिज में खिलता पलाश हो !!!

बसंत में कोयल गाती नहीं !
   दिल से क्यों तेरी याद जाती नहीं 
      तेरे सिवा कोई तस्वीर भाती नहीं !!!

जब काली घटायें गरजती हैं !
   जब भीगे सावन में बूँदें बरसती हैं 
      सखी मिलन को आँखें तरसती हैं !!!

यूं नज़रें झुकाकर मत जाया करो !  
   चोरी-चोरी दिल में मत आया करो          
      ख़ामोशियों में धुन कोई गाया करो !!!

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एकान्त नेगी