Jaan
जिंदगी यू ही चलती रही लम्हा – लम्हा,
कि अचानक से तुम आये
हँसते रहे खिलखिलाते रहे ,
यूँ हर ख्वाब को संजोते रहे ,
तेरा – आना तेरा – जाना ,
हर पल को यू ही देखते रहे,
यू हुआ की कोई आरजू न रही ,पलकों से बस एकटक देखते रहे ,
वो लम्हा भी आया जब तुम हम से रुखसत हो लिए ,
कुछ कह न सके बस आँखों के किनारे भिगोते रहे ,
याद करके जान निकल जाती है, ए – ख़ुदा ऐसा दिन कभी
किसी को न मिले|