अनुरागी हम है रे, राम नाम धुन के…..
अनुरागी हम है रे, राम नाम धुन के’
भजन करेंगे हृदय कुंज में राघव के’
अभिलाषी है प्यारे, नाम रतन धन के’
सरकार मेरे अवधेश’ भाग हमारे जागे’
जप ले मन हरि नाम, चरणों में प्रीति लागे।।
स्नेह भोग लगाएंगे, ठाकुर राघव है सरकार’
धनुआधर’ श्री राम, जगत के प्राणाधार’
चरण की सेवा लगा रहूं, प्रेम हो अपरंपार’
राघव श्री सरकार’ चरणों में अनुराग हमारे जागे
जप ले मन हरि नाम, चरणों में प्रीति लागे।।
है रघुनाथ दया के सिंधु, कौसल्या के लल्ला’
जगतपति नाथ, कृपा मय है करुणा-वरुणालय’
ज्योत पुंज अति दिव्य अलौकिक है नाम प्रभु का’
चाहूं रघुनाथ का वरद हस्त’ भक्ति मिले बिन मांगे’
जप ले मन हरि नाम, चरणों में प्रीति लागे।।
मन अनुरागी है, जपुं राम नाम की माला’
पी लूं भाव हृदय ले, मधुर-मधुर रस प्याला’
सीता के वर श्री रघुनाथ, हर लेते है पाप-ताप’
जीवन को सूफल करुं नित रहूं सेवा में आगे’
जप ले मन हरि नाम, चरणों में प्रीति लागे।।
मन अनुरागी हूं, जपुं नित सीताराम-सीताराम’
भ्रम का जाल है छूटा, जग के सारे झूठे काम’
नाम धुनि में लगा रहूं, मन मेरे नित आठों याम’
जपुं मन सीताराम, दूर पाप-ताप हृदय के भागे’
जप ले मन हरि नाम, चरणों में प्रीति लागे।।