निशानी - ZorbaBooks

निशानी

मेरे शहर की यारों अब यही कहानी है
टूटी हुई कस्ती और ठहरा हुआ पानी है

एक फूल किताबो में है जो अब सुख चुका है
पर कुछ याद नही आ रहा यह किसकी निशानी है।

जो तू रात में तकिये के नीचे रख कर सोता है
बता ऐ दोस्त यह तश्वीर कितनी पुरानी है

ये जिसके इस्तेकबाल में सारा शहर है मसरूफ
पता तो करो यारों …..यह किस देश की रानी है

 

 

Comments are closed.

Niraj kumar