आईना - ZorbaBooks

आईना

इधर उधर पलट कर हर तरफ से देखा

बात फिर भी ना बनी तो लहज़ा बदल कर देखा

 

वो गुरुर में था उसे कैसे दिखतीं  सच्ची सूरतें

उसने एक ही चेहरे को आइना बदल बदल कर देखा

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Niraj kumar