मैं और मेरी बुद्धि - ZorbaBooks

मैं और मेरी बुद्धि

कभी सोई तो कभी जगी सी,

कभी हंसी तो कभी रोई सी।

कभी बोलती तो कभी चुप सी,

कभी चंचल तो कभी उदास।

मैंऔर मेरी बुद्धि।।

 

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Parisa Gupta