छोटा सा गांव मेरा
बड़ा खेल का मैदान जहां, था छोटा सा गांव
हंसते खेलते गुजरा बचपन, थी पीपल की छांव
दोस्तों का आना-जाना, मस्ती मजा खूब कर पाना
बीत गए दिन यह पुराने, अब तो हम भी हो गए शहरों के दीवाने।
वह बड़ा मैदान भी इमारतों में खो गया, गांव का बच्चा भी अब शहरी बाबू हो गया।।