इश्क़ हो तो छुपाना कैसा - ZorbaBooks

इश्क़ हो तो छुपाना कैसा

जब इश्क हो ही गया है तो छुपाना कैसा

परिंदों को हवाओं से बचाना कैसा

कहते हैं ये ज़िंदगी है छोटी बहुत

फिर फ़िजूल बातों में वक्त गँवाना कैसा

आ जाया करो मिलने जब भी वक्त मिले

दिल के अरमानों को दिल में दबाना कैसा

क्या सही है क्या गलत ये तुम रहने दो

दिल की बातों में ये दिमाग लगाना कैसा

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Prerna Pujari