अब अकेले रहना होगा - ZorbaBooks

अब अकेले रहना होगा

*अब अकेले रहना होगा

हमारे सफरे जहा अलग हो गए ,वो हम जहा अलग हो गए ,जिस सफर निकले थे हम जाने कहा गुमसुधा हो गए ,अब हर पथ पे ,मथ पे ,महफिलों के भीड़ में हमे सब रहे जिंदगी अकेले कहना होगा अब अकेले रहना होगा

चोटी का शिखर हो , भीड़ का कहर हो ,हम तानो का जहर हो, चाहे विश से भरा तल हो ,सबको अकेले सहना होगा ,अब अकेले रहना होगा

मैं पर्वत के ऊंचाई पे , सागर के गहराई में , ईट पत्थर के पथराई में , काटो के बगीचाई में , विजय के सीस पे ,पराजय के हार में , काटे,पत्थर , विजय,हार ,मन का रचा माया जाल ,सबको एकत्रित कर बस यह कहना होगा अब अकेले रहना होगा

Comments

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  1. Ranjana Chaurasia says:

    Hello sir,
    I have read you poem, it is very nice. I also write poems but yet not published or posted. Today I visited this website and posted a poem.

    I want to know that, Is this website helpful, Is my security for poem will be still?

    I will be grateful to you if you suggest me about poem publishing.

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Priyanshu singh
Uttar Pradesh