महलों से बाहर निकालो
*महलों से बाहर निकालो*
अपने घर से बाहर निकालो, जनता से जरा मिलकर देख लो ,उनको जरा मुड़ कर देख लो, जिससे वोट मांगने जाते हो क्या हाल हुआ उनका, जिनके चरणों में हर 5 साल पर झुक जाते हो क्या हाल हुआ उनका , अब क्या तुमको मालूम है जी रहे या मर गए वह क्या तुमको अल्म है , हवा में उड़ान छोड़ कर भू पर निकलना सीख लो ,टीवी पर डिबेट हटाओ प्रत्यक्ष होकर बोलना सीख लो ,हमारे राजनेताओं अपने महलों से बाहर निकलना सीख लो
मैं चाहता हूं उनके घर जाओ तुम, उनके घर की बनी रोटी खाओ तुम, अब तुम कहोगे कुछ नया बताओ यह सब हम करते हैं, पर पर मैंने तो उनके घर रोटी कहीं न होटल की प्लेट और रोटी नहीं न , उनके घर रेहकर बदबू में रहना सीख लो राजनेताओं अपने महलों से बाहर निकालो
विकास की बात करते हो राज्य और लोकसभा में जाने कितने आंकड़े की गिनवाते हो सांसद की सभा में सच बताना क्या सच्चाई से तुम वाकिफ नहीं ,सच बोलने की तुम में अब ताकत नहीं, मेरे लिए वह विकास विकास नहीं जहां लोग दो वक्त की रोटी को तरस जाते हो, आंकड़े तू इतने महान मारे सो तो जिन जाए चार , सुनो बिसलेरी का पानी छोड़ सादा पानी पीना सीख लो राजनेताओं महलों से बाहर निकालो
प्रियांशु सिंह