मैं काशी हूं
बाबा विश्वनाथ की मनोहर धाम काशी,शंकर भगवान के त्रिशूल पर बसी एक राशि, पावन गंगा के किनारे मैं लहराती हूं
हां मैं काशी हू
बाबा भैरव जहां के क्षेत्रपाल,मां गंगा जहां की पालनहार, बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए लोगों की आकांक्षी हो हां मैं काशी हूं
वेदों का ज्ञान विज्ञान का मान गंगा के किनारे पंडितों का स्नान, वेद और उपनिषदों की मैं धरासी हूं
हां मैं काशी हूं
संस्कृत कि श्लोकों से भारी गलियां , शिवलिंग है जहां हर जगह की पहचान पूजा पाठ धर्म कर्म धन धान्य से भरी लोगों की वासी हूं
हां मैं काशी हूं
दिना और काशी चाट भंडार और श्री जी के मलाइओ की भंडार , स्वाद में प्रखर दूध व भांग से भरी घड़ासी हु
हां मैं काशी हूं
गीता का सार हु , रामायण का धर्म ज्ञान , मधुर बोली और मुंह में भरी पान , अंग्रेजों को आकर्षित करती मैं एक ऐसी धारा सी हूं
हां मैं काशी हूं
सकरी गलियां लंबे कॉरिडोर सीढ़ियां उतरने चढ़ने की थकान स्वस्थ एवं मनोहर लोगों की एक ऐसी अद्भुत धारा सी हूं हां मैं काशी हूं
विश्व प्रसिद्ध दशमेध घाट की आरती, उम्र भर घमंड में भारी शरीर को नाश करने वाला मणिकर्णिका घाट, गंगा की सुंदरता 80 घाटों का मनोहर दृश्य धर्म की राह दिखाती श्री रामचरितमानस जहा लिखी गई एक ऐसी पावन धरा सी हूं हां मैं काशी हूं
कभी आओ यहां तो आंखें बंद कर कहीं बैठ जाना वेदों का उच्चारण गंगा की लहरों की आवाज मंदिरों के घंटे की आवाज मन को मोह देने वाली दृश्य की नगरी हां मैं काशी हूं
नमः पार्वती पते हर हर महादेव
प्रियांशु सिंह