शिक्षा
*शिक्षा*
मैं आया शिक्षा की बात लेके
उभरते देश की सौगात लेके
माना उम्र कम हमारी है
पर अच्छा बुरा परखने की नजर हमारी है क्या सच क्या झूठ सब समझ हमें आती है
यह समझ को समझ देने वाली शिक्षा ,झूठ गलत के आगे डट के खड़ा करने वाली भी शिक्षा, शेरनी का दूध कहे जाने वाली शिक्षा ,अंबेडकर को भी प्यारी है यह शिक्षा
आज की शिक्षा को देखकर मन मानो थोड़ा व्याकुल है गुरु गुरु नहीं अब मास्टर हो गए, ज्ञान का धन सेलेब्स तक सीमित रह गए, ना अधिक बात न काम बात , ना सामाजिक ज्ञान ,ना नैतिक ज्ञान फिर भी बच्चों से चाहे कैसा सम्मान , 45 मिनट की कक्षा में केवल सिलेबस खत्म करने की होड़ महान
माना की सिलेब्स खत्म करना है पर जरा ध्यान दो उन बातो पर , जो आज बालक है वो कल नागरिक होंगे
इस प्रकार की शिक्षा से कैसे देश बनेगा महान
शिष्यों की भी क्या बात करें वह भी बड़े मतवाले हैं कॉलेज की गेटो पे दिन भर खड़ा रहने वाले हैं, एक अलग नशा इन्हे चढ़ता है कभी नेता कभी गुड्डा बनाने का मन करता है
अब ना राम मिलेंगे,ना एकलव्य मिलेंगे, ना अर्जुन मिलेंगे चलचित्र के परदे के केवल नाटकीय दृश्य मिलेंगे
वो भारत के नौजवानों जरा सा तुम जागो रे शिक्षा का शास्त्र हाथ में अंधकार से बाहर आ जाना
तुमसे यह संसार खड़ा है तुमसे ही यह भारत महान बना है
हे शिक्षा की पुजारियों मेरी जरा एक बात मानो उस 45 मिनट के कक्षा में बच्चो को जीवन का सार बता दो
क्यों ढूढते हो की कोई और पहले शुरू करेगा तुम ही अपना पहला मतदान लगा दो
तुम चाणक्य जैसे महान हो मां शारदा का अभिमान हो , तुमने ही अर्जुन है दिया अब और अर्जुनो की बारी है
मां भारती को सजाने की तुम्हारी सबसे बड़ी हिसेदारी है
अब जरा मास्टर से हट कर फिर गुरु बन जाओ तुम और अनेक अर्जुनों को नई राह दिखाओ तुम
प्रियांशु सिंह