कलम उठी है, क्रांति तो होगी ही..! - ZorbaBooks

कलम उठी है, क्रांति तो होगी ही..!

 

सेना में शहीद होता जवान
सड़क, खेतों में रेंगकर मरता
मजदूर और किसान..

बताओं कैसे हम सब करें जय का गान
कैसे न मर्माहत हो जन सामान्य
जाहिर है कलम उठी है, क्रांति तो होगी ही 

देश की जब ये हालात हों  हर वर्ग हर खेमें में
हाहाकार हों ..!

कैसे हम नारा लगाएं जय जवान!
जय किसान

कैसे हो हमसे  ये अपमान.!

जाहिर है कलम उठी
तो क्रांति तो होगी ही न

सबकुछ थम गया है मानो
रेत की तरह
जितना पकड़ो उतनी ही फिसलती है..!

बंद पडे़ बाजार और कल कारखानें
कहीं सूख गयी पडी़-पडी़ गन्ना की फसल

तो कहीं भींग गये गेहूं और मक्के की
फसल ऐसे कठिन दौड़ में कैसे परेशान
  न हो मजदूर और 👳💦 किसान

भूखे पेट, तन- वदन नंगे
ऐसे हैं चारों तरफ के हालात
सूख गई फल, फूल वारी

अब न हो हमसे ये सब भान
इस बात से  हम कब तक रहे अंजान .!

कौन हैं इस सब के जिम्मेवार
इस बात से हैं हम सब परेशान

संयोग कहूँ ,  या कहूँ सौभाग्य 
जिस धरा पर मैं खड़ा वह वीर
भूमि है दिनकर की
अर्पण की और तर्पण की

हर मर्म है उनके वंदन की
हर पग हैं उनके वंदन की

जाहिर है कलम उठी.!
तो फिर क्रांति तो होगी ही

 

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Rahul kiran
Bihar