देखा है मैंने लोगों को बदलते..!
देखा है? मैने देखा है
लोगों को करीब से बदलते देखा है…!
जो लोग बातों – बातों में ही अपना
हाल- ए दिल बयां करते थे!
आज उनके कानों में जूं तक नहीं रेंगती …!
गम – ए हाल कम के नहीं, सबके यही हैंै.!
देखा है? हाँ मैंने देखा है
लोगों को …!
कभी कुछ तो कभी बहुत कुछ हो तुम
ऐसा कहते देखा है…!
बातों – बातों में ही सबकुछ भी कहते देखा है
देखा है? हाँ हुजूर मैंने ..
देखा है लोगों को, बड़े करीब
से …!
देखा है? मैंने देखा है..!
कभी हर मर्ज की दवा हो तुम
ऐसा भी कहते देखा है…!
देखा है मैनें ….!
कभी अपना तो कभी अपनापन
सब काम पड़ने पर दिखाते देखा है…!
कभी दिल, तो कभी जान हो तुम कहते देखा है
देखा है? हाँ मैंने लोगों को
बहुत करीब से ..!
कभी दुःख – दर्द तो कभी आंखों
में आंसू को भी बरसते देखा है…!
देखा है मैंने लोगों को ,
करीब….!
देखा है? हाँ मैने देखा है
इश्क़ में लोगों को जान भी
देते देखा है! पर जिसके लिए जान
दी उसे उफ्फ तल्क नहीं आती …!
ऐसा दिल भी देखा है..!
पर ऐसा करने वालों को रात की नींद
और दिन का चैन भी छीनते देखा है ..!
देखा है? हाँ मैने ही देखा है
लोगों को बडे़ करीब से बदलते ..!
जब सफल होता है व्यक्ति तो उसका
गुनगान भी करते देखा है…!
पर मैंने एक सफल व्यक्ति की पहचान को भी
मिटते देखा है..!
अब देखने को क्या ही रह गया है? हाँ
मैं ही वो शख्श हूँ जो यह सब मिटते देखा है!
देखा है मैंने . . !
लेखक- राहुल किरण